मेरी कविताओं का जहां...!!
एक कविता सी जीती है मुझमें कहीं,
लफ्ज़ लफ्ज़ बनकर....
कलम से कागजों पर उतरती हैं कहीं,
ये चलती हवाएं बहारें सी जीती हैं कहीं,
धुन सी कोई बजती हैं कहीं,
मीठा सा संगीत मुझे सुनाती हैं कोई...!!
पत्तों की सरसराहट सा,
स्वछंद बहती खुशबू सा,
दिल में बजते सितार सा,
कुछ ऐसा ही है मेरी कविताओं का जहां...!!
तुम बह सकती हो,
तुम लिखी जा सकती हो,
तुम पढ़ी जा सकती हो,
तुम उड़ सकती हो,
तुम खुद पर इठला सकती हो,
तुम रूठ सकती हो,
तुम छू सकती हो मन को
कुछ इसी तरह....
कविताएं मुक्त होती हैं हर बंधन से...!!
है, मेरी कविताओं का यह जहां स्वछंद सा,
किसी छोटे बच्चे के कोरे से मन की तरह,
कविताओं का जहां रूहों से गुजर कर जाता है,
कुछ इस तरह.....
हमें तुमसे और तुम्हें हमसे रूबरू करवाता है...!!
प्रतियोगिता - दिनांक 24 मार्च 2022
लेखिका - कंचन सिंगला
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Punam verma
25-Mar-2022 10:10 AM
Nice
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Gunjan Kamal
25-Mar-2022 08:57 AM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Abhinav ji
25-Mar-2022 08:46 AM
Nice 👍
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